Monday, March 25, 2013

దేశభక్తి గీతం






Sare jahan se accha hindostan hamara
ham bulbulain hai is ki, yeh gulsitan hamara

Ghurbat men hon agar ham, rahta hai dil vatan men
samjho vahin hamen bhi, dil hain jahan hamara


Parbat voh sab se uncha, hamsaya asman ka
voh santari hamara, voh pasban hamara

godi men khelti hain is ki hazaron nadiya
gulshan hai jin ke dam se, rashkejanan hamara

aye ab, raud, ganga, voh din hen yad tujhko
utara tere kinare, jab karvan hamara

maz’hab nahin sikhata apas men bayr rakhna
hindvi hai ham, vatan hai hindostan hamara

yunanomisroroma, sab mit. gaye jahan se
ab tak magar hai baqi, namonishan hamara

kuch bat hai keh hasti, mit.ati nahin hamari
sadiyon raha hai dushman, daurezaman hamara




iqbal ko’i meharam, apna nahin jahan men
m’alum kya kisi ko, dardenihan hamara. 





सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा
हम बुलबुले है इसकी ये गुलसिता हमारा ॥धृ॥

घुर्बत मे हो अगर हम रहता है दिल वतन मे
समझो वही हमे भी दिल है जहाँ हमारा ॥१॥

परबत वो सब से ऊंचा हमसाय आसमाँ का
वो संतरी हमारा वो पासबा हमारा ।२॥

गोदी मे खेलती है इसकी हजारो नदिया
गुलशन है जिनके दम से रश्क-ए-जना हमारा ।३॥

ए अब रौद गंगा वो दिन है याद तुझको
उतर तेरे किनारे जब कारवाँ हमारा ॥४॥

मझहब नही सिखाता आपस मे बैर रखना
हिन्दवी है हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा ॥५॥

युनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिल गये जहाँ से
अब तक मगर है बांकी नामो-निशान हमारा ॥६॥

कुछ बात है की हस्ती मिटती नही हमारी
सदियो रहा है दुश्मन दौर-ए-जमान हमारा ॥७॥

इक़्बाल कोइ मेहरम अपना नही जहाँ मे
मालूम क्या किसी को दर्द-ए-निहा हमारा ॥८॥


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